About Us

हमारे विषय में

हमारा परिचय

आकाशगंगा एक स्वयमसेवी गैर लाभकारी संघटन है। हम किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी संस्था से नहीं जुड़े हैं, ना ही हमारी संस्था कहीं दर्ज़ की हुई है। हमारे कार्यक्रम दान और निजी धन से आयोजित होते हैं और आम जनता और कार्यकर्ताओं की मदद से सम्भव होते हैं

हम खगौल शास्त्र द्वारा इन मुक़ामों को हासिल करना चाहते हैं :

  • खगौल शास्त्रियों और अन्य वैज्ञानिकों के काम के प्रति जागरूकता
  • विज्ञान में आगे बढ़ने से क्या मिल सकता है, ये लोगों को बताना और समझना
  • पटना की वैज्ञानिक विरासत को उभारना ताकि विज्ञान पतनवासियों को अपने से अलग ना लगे
  • शिक्षकों को कक्षाओं के बाहर विज्ञान बताने का मौका देना और इसमें उनका सहयोग करना
  • खगौल और वैज्ञानिक रुचि के प्रयोग से लोगों की निजी ज़िंदगी को उभारना

हमारी आशा

बिहार से बुद्धिजीवियों का निकल जाना, यानी की ब्रेन ड्रेन के मुद्दे से बिहार और पटना के लोग अच्छी तरह वाक़िफ़ हैं। लेकिन पिछले दशकों में पटना की आर्थिक और सामाजिक प्रगति भी किसी से छुपी नहीं है। पर क्या इस प्रगति का ब्रेन ड्रेन के मुद्दे पे कुछ असर पड़ा है?
पटना की शैक्षिक प्रगति पतनवासियों की चाह से हुई है। जो पटनावासी 2000 के दशक को याद करेंगे, उन्हें ये भी याद होगा की किस पैमाने पे लोगों के बेंगलुरु जैसे शहरों में जाने की शुरुआत हुई थी। 2010 आते आते उन शहरों के नाम में कोटा भी जुड़ गया। पटना में आगे बढ़ने का साधन ना होने के बावजूद पटना की जनता की महत्वकांक्षा नहीं हटी। इसकी बदौलत इन शहरों तक ना केवल नए ट्रेन और हवाई जहाज़ की व्यवस्थाएँ हुई, बल्कि पटना में भी इन साधनों को उपलब्ध कराने की भावना जगी। आज रास्तों और नुक्कड़ों में विज्ञान पढ़ते हुए कोचिंग सेंटर हैं। साथ ही साथ, केंद्र और बिहार सरकार की बदौलत पटना में IIT, AIIMS, और कई मान्य केंद्रीय संस्थान खुले और हमारे अपने प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना इंजीनियरिंग कॉलेज को NIT का दर्जा मिला।आजकल के जमाने में बिहार के कोने कोने से लोग पटना इंजीनियर या डॉक्टर बनने या उनका कोचिंग लेने आते हैं। और वैज्ञानिक रुचि रखने वाले पटनावासी जो परिवार या दोस्तों के नज़दीक रहना चाहते हैं, वे पटना में रहकर अपने लिए एक अव्वल ज़िंदगी बना सकते हैं। लेकिन,सिर्फ़ डॉक्टर या इंजीनियरिंग की डिग्री पाकर।

फिर भी पटना में सिर्फ़ विज्ञान की पढ़ाई करने वाले कई हैं। लेकिन अक्सर विज्ञान की डिग्री का मूल्य पटनावसियों की नज़रों में केवल किसी दिन इंजीनियरिंग या मेडिकल में जाने की कड़ी होती है। पटना में विज्ञान की पढ़ाई का नीरस लगने का कारण कुछ हैड तक ये भी है की लोग जानते नहीं है की BSc का क्या लाभ हो सकता है। और जिन्हें विज्ञान में रुचि है, उन्हें अक्सर विज्ञान ना पढ़ने का पारिवारिक या सामाजिक ज़ोर सहना पड़ता है। इसका भी एक मूल कारण वैज्ञानिक जागरूकता की कमी और विज्ञान का लाभ ना जानना ही है। वहीं कई इंजीनियर हैं जो निजी रुचि और वैज्ञानिक शोध में भाग लेने के लिए BTech के बाद विज्ञान के क्षेत्र में भी जाते हैं। शोध या रीसर्च के अवसर विज्ञान में इंजीनियरिंग से ज़्यादा हैं लेकिन इन इंजीनियरों को वैज्ञानिकों की पढ़ाई अलग से करनी होती है क्यूँकि प्रौद्योगिकी विज्ञान नहीं बल्कि विज्ञान का सिर्फ़ उपयोग है।

जो विद्यार्थी नहीं हैं उनकी ज़िंदगी में भी विज्ञान का महत्तव वैज्ञानिक साक्षरता के रूप में है। वैज्ञानिक साक्षरता का मतलब हुआ हमारे चारों ओर की दुनिया किस तरह चलती है, इसका समझ होना। जो खाना बनाते हैं उन्हें वैज्ञानिक साक्षरता चूल्हे के आग और गैस की सावधानी बताती है। वैज्ञानिक साक्षरता उनका साथ भी देती है जो स्वस्थ रहना चाहते हैं लेकिन स्वस्थ खाने का चुनाव बिना किसी के प्रभाव में आकर करना चाहते हैं। वैज्ञानिक साक्षरता इंसानों को सतर्क बनाती है। आज के ज़माने में, जब हर तरह की खबर इंटर्नेट की बदौलत हमारे जेब में है, उस ज़माने में सतर्कता और वैज्ञानिक साक्षरता से पाई हुई विश्लेषण करने की समर्थता अमूल्य है।

वहीं दूसरी तरफ़ है खगौल शास्त्र — पृथ्वी से बाहर की सभी चीजों को समझने का शास्त्र जिसकी इंसानों पर अक्सर अलग ही खींच होती है। खगौल शास्त्र से मिली वैज्ञानिक सोच हमें ब्रह्मांड में अपना स्थान बताती है। खगौल में निर्मित है भूगोल, गणित, और रसायन शास्त्र — विज्ञान के तीन मौलिक भाव जो वैज्ञानिक साक्षरता के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। खगौल की लोगों पर खींच और बाकी शास्त्रों से लगाव खगौल शास्त्र को वैज्ञानिक साक्षरता के द्वार खोलने का ज़रिया बनाते है; ख़ास कर उन लोगों के लिए जो विज्ञान से कतराते हैं। हम आकाशगंगा और खगौल शास्त्र के द्वारा पटना की वैज्ञानिक जागरूकता, वैज्ञानिक साक्षरता, और वैज्ञानिक प्रगति को उभरने की आशा रखते हैं। हमारी आशा है की आकाशगंगा लोगों के बीच वैज्ञानिक वार्तालाप का ज़रिया बने और विज्ञान की रुचि रखने वाले आम लोग और विज्ञान के शिक्षकों को कक्षाओं के बाहर वैज्ञानिक साक्षरता फैलाने का अवसर दे।

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